धारा
धारा
बहुत कठिन है
धारा के विरुद्ध चलना
साधारण व्यक्ति
इसी कारण
चल पड़ता है
धारा के बहाव के साथ ही।
न कोई तनाव
न कोई संघर्ष
न कोई कष्ट व उलझन
न ही कोई अस्तित्व।
एक दिन समुद्र में जा गिरा
नया रूप लेने के लिए।
जो धारा के विपरीत
उसी ने अपना मार्ग बनाया
जीने की सन्तुष्टि को पाया।
