देश प्रेम किताबों में
देश प्रेम किताबों में
गया एक किताब की दुकान में,
पूछा बंदे से दुकान में !
देश प्रेम पर किताब है क्या ?
निहारा उसने ऊपर से नीचे हमें,
अपराधी हो हम जैसे, फिर बोला..
देश प्रेम किताबों में मिलता है क्या ?
देश प्रेम तो दिल में रहता है।
तुम क्या भूल गए,
देश पर कुर्बान होने वालों को,
पुज्य गांधी और सुभाष के आंदोलनों को।
आजादी क्या हमें मिली,
तिरंगा क्या देश में लहराया..
भूल गए सब अपमानों को
भूल गए उन बलिदानों को।
एक साथ में वह कह गए हमें !
हमने कहा नहीं भाई,
हम तो यूं ही पूछ बैठे।
देश हमारा सबसे प्यारा
सब और हरियाली हो यही हमारा नारा।
भारत की पहचान हो तुम
सरहद का अरमान हो तुम।