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AS 14

Romance

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AS 14

Romance

देखता हूं..

देखता हूं..

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देखता हूं जब तेरी तस्वीर मैं ,

चाहता तो हूं नज़दीक पर पाता हूं खुद को दूर मैं,

भीड़ से भरे कमरे मैं अकेला खो जाता हूं

मैं पर फिर भी यादोंसे तेरी तस्वीर ढूंढ लाता हूं मैं;

देखता हूं जब तेरी आंखों में मैं,

चाहता तो हूं काजल पर बस जाता हूं काले टीके में मैं,

पलकों से तेरी आंसू पोछ ना पाता हूं मैं

पर तू कह दे तो आज से तेरी आंखें बन जाता हूं मैं;

देखता हूं जब तेरे कागज़ को मैं,

चाहता तो हूं कलम पर मिल जाता हूं स्याही से मैं,

शब्दों के चक्रव्यूह से बाहर निकल ना पाता हूं मैं

और फिर खुद ही एक नई पहेली बनकर रह जाता हूं मैं;

देखता हूं जब तेरी पायल को मैं,

चाहता तो हूं छनक पर बन जाता हूं शोर मैं,

सूने पैर देखकर तेरे बैचैन हो जाता हूं मैं कोशिश तो करने दो

जाने बहार देखो कैसे तुम्हारी आवाज बन जाता हूं मैं;

देखता हूं जब तेरे मुखड़े को मैं,

चाहता तो हूं चांद पर पकड़ लाता हूं जुगनू को मैं,

किसी दिन अगर तुझे देख ना पाता हूं मैं खुदा कसम

अपनी मुस्कान को भी कहीं रखकर भूल जाता हूं मैं;

देखता हूं जब हमारी परछाईओ को मैं,

चाहता तो हूं दों मगर देखता हूं सिर्फ एक मैं,

इस उलझन को सुलझाते कहीं सुबह ना हो जाए इससे डर जाता हूं

मैं और फिर प्यार करने वालों कि तो रूह एक ही होती हैं यह समझकर सो जाता हूं मैं।



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