..त्यौहार है
..त्यौहार है
गलतफहमी हैं यह लोगों की कि रंग सिर्फ चेहरे पर लगते हैं ,
अगर कोई आपको उनके अंदर झांकने दे तो पता चले की असली रंग तो मन पर ही लगते हैं;
रंग कोई शब्द नहीं हैं जो एक पल में बोल दे और अगले ही पल में भुला दे ,
रंग तो भावना हैं जो एक बार मन को लग जाए तो आंसूओं से भी नहीं मिटा पाते हैं;
इंद्रधनुष से प्रेरित होकर लोग अपने मन में रंग भरना शुरू कर देते हैं ,
और भरते भरते अपने सारे गमों को उन्हीं रंगो में भुला देते हैं;
रंग कभी मिट्टी का नहीं लगता वह तो एक दूसरे के बीच मे कभी ना खत्म होने वाले प्यार का लगता हैं ,
नजर भले ही ना आता हो पर वह प्यार का रंग हर दिन गाढ़ा लगने लगता है;
होली पर लोग रंग इसलिए नहीं लगाते की वह एक परम्परा है ,
वह इसलिए लगाते हैं क्योंकि उनकी भावना और उनका प्यार जताने का वही एक खुशियों का त्यौहार है।
