देखा है।
देखा है।
चंद सरियो के खंबों पे एक मकान को टिकते देखा है,
कुछ कागज़ के नोटों से इज़्ज़त को बिकते देखा है,
आंधी तूफान से मजबूत थी उस घर की दीवारें,
एक छोटी सी चोट से मैंने नींव को हिलते देखा है,
मिठाइयों की आड़ में वो ज़हर छुपा कर बेच रहे
उनसे कमाए कागज़ को सरमया होते देखा है,
हिन्दू मुस्लिम की दौड़ में इंसानों को मैं ढूंढ रहा,
उस दौड़ के चलते चलते मैंने वक़्त बदलते देखा है,
कुछ हादसे मैंने देखे है, कोई मंजर तुमने देखा है,
एक उम्मीद ए नाज़ से इस दुनिया को मैंने देखा है,