STORYMIRROR

Ashish Rajput

Abstract Tragedy

3  

Ashish Rajput

Abstract Tragedy

कविता

कविता

1 min
319

कितनी नादान है ये दुनिया,

इसे आने वाली प्रलय का 

आभास तक नहीं,

बर्फ़ पिघलना, जंगलों का जलना,

महामारी से लाखों लोगों का मरना,

शायद कुछ भी ज्ञात नहीं है इसे।

या जानती है सब कुछ ये दुनिया,

जानती है मनुष्य कितना बेरहम है,

वो जानती है कि उसका मिटना ही,

इस बेरहम सभ्यता का कर्म फल है,

इसलिए स्वयं को बचाने मचलती नहीं है,

मिट जाने को जैसे तैयार खड़ी है।

कोई तो समझाओ इस नादान को,

या खुद संभल जाओ और आगे आओ

दुनिया बचाने को।



Rate this content
Log in

More hindi poem from Ashish Rajput

Similar hindi poem from Abstract