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Archana kochar Sugandha

Inspirational

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Archana kochar Sugandha

Inspirational

डरी-सहमी जिंदगी

डरी-सहमी जिंदगी

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वातावरण में छाई कुछ अजीब सी गहमा-गहमी हैं 

चल रही है जिंदगियाँ, मगर डरी-सहमी हैं। 

बंद खिड़की दरवाजों के सुराखों से, 

नज़र आती कुछ परछाइयाँ हैं 

दूर-दूर बैठी, उड़ी उनके चेहरों की हवाइयाँ हैं। 


कुछ होनी-अनहोनी का अंदेशा है 

सड़कों पर एंबुलेंस के सायरन देते संदेशा हैं। 

जिंदगियाँ मौत के ढे़र पर बैठी है 

इंसानियत माया के हेर-फेर में ऐंठी हैं। 


हवा प्रकृति की छल रही है 

लक्ष्मी के आगे हाथ मल रही हैं।

चुका कर जिंदगी की कीमत 

दौलत का शहंशाह खरीद नहीं पाया जिंदगी

लेकर जिंदगी की कीमत,

जिंदगी का सौदागर,

मौत के बदले बेच नहीं पाया जिंदगी।


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