डर
डर
डर क्या है ?
हमारे मन के अंदर बैठा एक वहम।
सुखद भविष्य की चिंता में आकंठ डूबा मन,
डर पीड़ा का तीव्रतम एहसास,
या फिर बेवजह के सोचो का मन पर स्पंदन।
डर नकारात्मक सोचो का हावी होना,
नकारात्मक बातों और घटनाओं का प्रभावी होना,
डर दिल के कोने में बैठी इच्छाओं का दमन,
डर सत्य को अस्वीकार करता है मन।
डर को हावी न होने देना,
करो इसके लिए स्वस्थ चिंतन,
भविष्य की चिंता में न करो अपना व्यथित मन,
समस्याओं को करो स्वीकार,
करो सदा प्रयत्न हो जाये उसका समाधान,
वरना मान लो कुछ कठिन प्रश्न
नही है जिसका उत्तर
तेरे इस जीवन।
जिओ इस जीवन को
ताकि खुद को लगे हमारा जीवन बना सार्थक,
बनो खुद अपना आईना,
बनो खुद अपना ही जज।
डर क्या है ?
स्वस्थ चिंतन का दमन,
खुशियों को लगे ग्रहण,
मुस्कुराहटों को लगे बंधन।