"डर"
"डर"
जिनको डर है,पानी मे डूबने से
दरिया में कभी तैर नही सकता
जिनको डर है,जग की बातों से,
वो कभी खुश हो नही सकता
जिनके इरादे होते कमजोर है
वो रोते रहते यहां चहुँओर है
जिनको डर है,अपने आप से
वो कभी वीर हो नही सकता
जो शीशा देख न सकता ढंग से
खुद का सामना कर नही सकता
जिनको डर है,पानी मे डूबने से
दरिया में कभी तैर नही सकता
जो डरता है,यहां असफलता से
वो कभी सफल हो नही सकता
जिनको डर लगता है,ऊंचाई से
वो एवरेस्ट तक जा नही सकता
जिनकी गैरियत जिंदा,भीतर से
वो कभी ईमान बेच नही सकता
जिनको डर है,पानी मे डूबने से
कभी दरिया में तैर नही सकता
जो दूसरों को डराकर जीता है
वो कभी बहादुर हो नही सकता
जिसे डर है,दिन के उजालों से
वो कभी दीपक हो नही सकता
जो बार-बार गिरकर,उठता है,
दुनिया ठोकर से संभलता है,
उसे दुनिया मे आगे बढ़ने से
कोई शख्स रोक नही सकता
जिसका खुद के डर पर काबू है
वो दुनिया का सबसे बड़ा लड़ाकू है
जिसे डर लगता है,यहां ईश्वर से
वो किसी का बुरा कर नही सकता।