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Aishani Aishani

Abstract

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Aishani Aishani

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डर सबको लगता है

डर सबको लगता है

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 डर सबको लगता है पर, 

डर के बैठ जाना उचित है क्या..? 

डर को अपनी ताकत बना लो, 

कामयाबी की ऊँचाई पर चढ़ना हो गर

डर के इस भूत को अपनी ताकत बनाओ। 


क्या कभी देखा है किसी नाविक को

तूफ़ानों के भय/ लहरों की प्रचंडता से

नौका ही ना उतारे समंदर में..? 

सोचा कभी यदि वीर शिवा जी 

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई 


या फिर माहाराणा प्रताप डर जाते तो क्या होता..? 

कभी सोचा आज़ादी के दीवाने डर के बैठ जाते

तो आज़ादी कहाँ से आती..? 

हाँ..! जो डर जाते हैं, 

वो वक़्त से पहले मर जाते हैं;

उठो और अपने डर को मारो, 

डर से मरो नहीं, डरो नहीं


जो चाहो कर डालो

इतिहास साक्षी है, जिसने डर को मारा 

उसने इतिहास में स्वर्णाक्षर में अपना नाआम लिखा। 

किससे और क्यूँ डरना..? 

तो डरो मत डट के सामान करो

हाँ..! 

डरो असत्य वचन कहने से, 

डरो दूसरों के साथ गलत करने से

और डरो ख़ुद को धोखा देने से..!


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