ढेर सारा प्यार देना
ढेर सारा प्यार देना
स्वप्नों के निलय को, तुम नया आकार देना ,
प्रेम के प्यासे ह्रदय को, ढेर सारा प्यार देना ।।
मन के' कोमल से पटल पर, चित्र कुछ अंकित किये हैं ,
थे अचेतन किन्तु तुमने, प्राण उनको दे दिए हैं ।
हर सहज संकल्पना को, भावना साकार देना.....
प्रेम के................।।
दुःख के मौसम जब दिखे, तब-तब तुम्हे दिल ने पुकारा ,
सुख के' नन्दन वन में' फैला, है प्रिये चन्दन तुम्हारा ।
वक़्त के दोनों सिरों को, जन्मों तक आधार देना ....
प्रेम के ................।।
प्रेरणा के स्वर सुकोमल, बन मेरे मानस में आओ..
मैं तुम्हें जब भी पुकारूँ, तुम मेरे अन्तस में आओ ।
गीत बन इस साधना की, चेतना को धार देना......
प्रेम के..............।।
जब से तुम आये तो गीतों ने नये शृंगार छेड़े ,
ले हिलोरें मन सरित ने फिर नये उद्गार छेड़े ।
सर्जना को पंख देकर नव सृजित संसार देना.....
प्रेम के................।।
है सवेरा भी अचम्भित, देख मुख की ताजगी को..
छंद के शैशव चकित हैं, देख कर इस सादगी को ।
तुम यों' ही शृंगार सरिता, को सतत विस्तार देना...
प्रेम के.....।।