STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

दामाद

दामाद

1 min
442

बिटिया का पति दामाद होता है

समय की बात है कि दामाद

कभी रसगुल्ला तो कभी

दोधारी तलवार होता है।

गिरगिट की तरह रंग बदलने मे माहिर

पुत्र सा व्यवहार भी करता है

बस दिमाग गरम भर हो जाय

तो दोधारी तलवार लगता है।

सालियों से थोड़ा असहाय दिखता है

मगर सालों से छत्तीस का आँकड़ा

बहुत बार रखता है।

दामाद ससुर से बड़ा प्यार रखता है

मगर सास से थोड़ा फासले से

व्यवहार करता है

दामाद की अपनी गरिमा है,

उस गरिमा का भी 

सम्मान होना चाहिए,

दामाद भी बेटे सरीखा ही होता है

सास ससुर को इसका भी

तनिक ख्याल रखना चाहिए।

वो भी बेटा सा तभी दिख सकता है,

जब सास ससुर में भी उसे

पत्नी के माँ बाप की नहीं

अपने माँ बाप का अक्स दिखता है।

तुम बेटे जैसे हो 

ये आइना मत दिखाइए,

कहने के बजाय उसके साथ भी तो

माँ बाप जैसा व्यवहार 

तो करके दिखाइए।

दामाद कोई अजूबा नहीं

किसी का बेटा भी है,

तभी तो आपकी बेटी का पति

और आपके साथ दामाद का रिश्ता है।

दामाद कैसा भी हो ये अलग बात है

समय पड़ जाय तो

बेटे से कम जिम्मेदार नहीं होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract