चुनाव आने दो
चुनाव आने दो
एक से एक सभ्य पुरुष सप्रचार निकलेंगे ,
दुर्गुण से भरे लोग भी सद व्यवहार निकलेंगे
हाथ उठाने वाले भी हाथ जोड़कर निकलेंगे,
जाति धर्म संप्रदाय के बंधन तोड़ के निकलेंगे,
भक्षक भी खुद को जनता का सेवक बतलाएगा,
जनता के दुखों को ही अपना मार्गदर्शक बताएगा,
मौखिक प्रगति की रूपरेखा का
भाषण रूपी मॉडल बनाया जाएगा ,
बड़े बड़े मंच पर चढ़कर जनता को सुनाया जाएगा,
जो अनपढ़ जनता इस रूपरेखा को समझ नहीं सकती,
उन्हें कहीं शराब तो कहीं पैसों का चढ़ावा चढ़ाया जाएगा,
वह छोटे छोटे कस्बे जहां ऑटो भी नहीं पहुंच पाती हो,
उन गलियों से भी नेता जी के मर्सिडीज कार निकलेंगे,
चुनाव आने दो, एक से बढ़कर एक
लुभाने वाले वादों के अंबार निकलेंगे ,
हर गली, हर मोहल्ले में वोट मांगते इन
नेताओं के चमचे और रिश्तेदार निकलेंगे।