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Rekha Shukla

Abstract

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Rekha Shukla

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चमक

चमक

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आके नशीला नजारा चल ले जा

सुन महफिल है सजी शाम बर्फीली 

मिले मासूम होने की देख सजा

खुलेआम तारों से सजी रात बर्फीली

तन्हाई करे फरियाद सुन जा

विरानों को आबाद करजा बर्फीली

सादगी की कयामत देख जा

ऐसी बरसात है थमीं चली बर्फीली!


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