चमचे
चमचे
हर जगह पर आज चमचे बैठे हैं
फूलो में वो शूल बनकर बैठे हैं
मीठे बोलते हैं वो हद से ज़्यादा,
चीनी से ज़्यादा मिठाई में वो बैठे हैं
इतनी ज्यादा चापलूसी देखकर तो ,
कुते भी पूँछ हिलाना भूल बैठे हैं
ये चमचे बड़े ही रंग-बिरंगे,सुंदर हैं
ये फूलों से ज़्यादा श्रृंगार कर बैठे हैं
तू बच जाना इन चम्मचों से साखी,
ये चमचे हमारी रूह में छिपे बैठे हैं।
