चलो
चलो
चलो तुमको ले कर चलते हैं,
उस जहाँ में जब न होते थे ये,
मोबाइल, इंटरनैट, फोन, मीडिया,
फिर भी मिलते थे दिल एक दूसरे से।
चलो तुमको ले कर चलते हैं,
उस जहाँ में जब न होते थे ये,
बिजली,चमकती रौशनी , पंखे, ऐसी,
फिर भी पेड़ देते थे ठंडी हवा।
चलो तुमको ले कर चलते हैं,
उस जहाँ में जब न होते थे ये,
बड़ी बड़ी इमारतें, आलीशान मकान और होटल,
फिर भी सब मिलजुल कर रहते थे।
चलो तुमको ले कर चलते हैं,
उस जहाँ में जब न होते थे ये,
रंगबिरंगें कपड़े, डिज़ाइनर परिधान,
फिर भी सब सादा जीवन बिताते थे।
चलो तुमको ले कर चलते हैं,
उस जहाँ में जब न होते थे ये,
पार्टियां,क्लब,किटी और रेन डान्स,
फिर भी सब आपस में हँसते बोलते थे।
चलो तुमको ले कर चलते हैं,
उस जहाँ में जब न होते थे ये,
पिज़्ज़ा, बर्गर,फास्टफूड और मैगी,
फिर भी एक ही थाली में सब मिलकर खाते थे।
चलो तुमको ले कर चलते हैं,
उस जहाँ में जब न होते थे ये,
आरामदायक गद्दे,तकिये और चादरें,
फिर भी सब चैन की नींद लेते थे।
चलो तुमको ले कर चलते हैं,
उस जहाँ में जब न होते थे ये,
छल, कपट, चोरी, बलात्कार और भ्रष्टाचार,
फिर भी सब दूसरे की मदद को तैयार थे।
चलो तुमको ले कर चलते हैं,
उस जहाँ में जब न होते थे ये,
अनाथाश्रम, विधवा घर और वृद्धाश्रम,
फिर भी सब एक साथ परिवार में रहते थे।
चलो तुमको ले कर चलते हैं।