STORYMIRROR

Zeegyasa Kashyap

Inspirational

4  

Zeegyasa Kashyap

Inspirational

चलचित्र : जीवन-चरित्र

चलचित्र : जीवन-चरित्र

1 min
519

गुमनामी के अंधेरों से कर क्रीड़ा

ढूँढ रही हूँ जिंदगी का एक टुकड़ा, 

न राह, न मंजिल, न है प्रकाश पुंज 

शेष है मात्र शूल व कंटक कुंज ।


फलक के तारों से 

आई हूंँ ज़मीन पर, 

पाई है जु़बान किंतु 

बनानी है पहचान अभी ।


विस्मित कर अपनी शाश्वती 

भले ही मैं लुप्त हूंँ। 

निर्भीकता के आंँचल में 

अब न जुल्मों को सहूँ।


अश्लीलता न मेरा कर्म, 

व्यवसायीकरण न मेरा धर्म ।

मैं हूंँ समाज, मैं हूंँ आईना, 

मुझमें है जिंदगी, ऊर्ध्वमनस का गहना ।


मैं वैश्वानरी-गंध, करती जीवंत सद्ग्रंथ।

इतिहास से करूंँ साक्षात्कार,

भविष्य के सजाऊंँ स्वप्न अपार। 

वर्तमान को दूँ चुनौती, 

दान करूंँ उम्मीदों के मोती ।

आशा के सूर्य तलाश करूंँ। 

रिश्तों की इबादत में झुकूँ। 


देशभक्ति का जुनून लिए

मैंने भी शहादत पाई है।

कृषक-वर्ग में हो अवतरित

श्रम-सीकरों से प्यास बुझाई है। 


नवरस मुझमे हैं समाहित 

 मैं हर क्षण की साक्षी। 

संगीत मेरा अंग मात्र, 

मैं हूँ जीवनदायिनी।


चित्र मेरे गतीशील, लक्ष्य मेरा है दृढ़-

शमा जिस क़द्र जले नुमाइश के लिए 

मैं भी जलती रहूँ सद्-ख्वाइश के लिए। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational