चला चल
चला चल
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निकल पड़ !
भूल,कल की बातें, नवयुग को स्वीकार कर।
कल बड़ी अड़चनें थी,आज विकास ओर अग्रसर ।
बाधाएं दूर हुई, परिवर्तन को शिरोधार्य कर।
निकल पड़ा है आगे की ओर रुक मत,चला कर, चला कर।
सपने बड़े देख,विकास के रथ पर चढ़।
सब पुरजोर लगा नए पैमाने गढ़।