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J P Raghuwanshi

Abstract

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J P Raghuwanshi

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"चिरैया"

"चिरैया"

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चुनवें जा दाना चली,

चिरैया लागे भली।


तिनका चुन-चुन नीड़ बनावें।

देख घोंसला मन भरमावें।

देखन में लागे भली।

चिरैया लागे भली।

चुनवें---------


चीं चीं चीं चीं कर रस घोले।

वाणी मधुर सुहानी बोले।

फूलें हैं चंपा कली।

चिरैया लागे भली।

चुनवें--------


सुंदर-सुंदर पंखन बारी।

चहक रही,लागत हैं प्यारी।

घर के बागन पली।

चिरैया लागे भली।

चुनवें--------


बड़े भोर से जा जग जावें।

कलरव सुन सब के मन भावें।

जा की लागे बोली भली।

चिरैया लागे भली।

चुनवें-------



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