चिंता चिता के समान
चिंता चिता के समान
चिंता छोड़ सदा चिंतन का, कर लें हम ध्यान,
चिंतन मूल है हल का, चिंता चिता के समान।
संघर्ष ही सत्य जीवन का, अंत है मृत्यु के संग,
सबको खुशियां बांटते चलो रखो मन में उमंग।
दुखित तभी दुख करेंगे जो, उन पर देंगे ध्यान,
चिंतन मूल है हल का, चिंता चिता के समान।
सीख तो गुजरे कल से लेवें, निरर्थक चिंता देवें छोड़,
अवसादग्रस्त करने में चिंता का, कोई नहीं है जोड़।
करें नियोजन तो भविष्य का, करें न जी को हलकान,
चिंतन मूल है हल का, चिंता चिता के समान।
गुजरा कल फिर न आएगा, भले कर लें लाख उपाय,
खोए रहें कल के सपनों में, निश्चित आज नष्ट हो जाय।
भूत-भविष्य की छोड़ के चिंता, संवारे केवल वर्तमान,
चिंतन मूल है हल का, चिंता चिता के समान।