चिकित्सा :एक अनमोल सेवा
चिकित्सा :एक अनमोल सेवा
कितनी प्यारी है यह सेवा
हर कोई पाता अनमोल मेवा
भगवान कहकर लोग बुलाते
फिर भी चिकित्सक ना इतराते
देता है अचूक दवाई
हरता है हरेक की पीड़ा
कर जाता लोगों की भलाई
मिटा देता बीमारी का कीड़ा
चक्षुओं को लौटाता रौशनी
रंग बिरंगी दुनिया से कराता रूबरू
वृद्ध फूले न समाते
जब नवीन रौशनी से धरा को
हरी-भरी पाते
कितनी प्यारी है यह सेवा
हर कोई पाता अनमोल मेवा
जब लोगों को चक्कर है आता
उसे भी चिकित्सक ही सुलझाता
दर्द करे जब मनुष्य का कपाट
लगाए जाते चिकित्सक की आट
जन्म मृत्यु के चक्कर में झूलते लोग
चिकित्सक ठीक करने की कोशिश
करते रोज़
यमराज से दो हाथ कर लोगों को बचाते
तब परिजन भगवान कहकर बुलाते
कितनी प्यारी है यह सेवा
हर कोई पाता अनमोल मेवा