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Sonu Raj

Others

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मां का दर्द

मां का दर्द

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गीले बिस्तर पर खुद को सुलाई थी

तेरे को सूखे बिछावन पर सुलाया था

फिर आखिर क्या विडंबना है आई थी

कि मुझे नंगी, ठंडी, जमीन पर जगह दिलवाई थी


मेरे खाते खाते रो पड़ते थे जब तुम

मैं आधा पेट खाकर तुझे दूध पिलाया करती थी

फिर आखिर क्या विडंबना है आई थी

कि मुझे नीर भी तेरे हस्तो (हाथ) से नसीब ना हो पाई थी


तेरे करूण रुदन को सीने से लगाया था

फिर आखिर क्यों मेरी सिस्कन भी तुझे ना सोहाया था

हाथ थाम कर पूरे गांव का सैर करवाया था

फिर तू क्यों छुट्टी का हवाला देकर

मेरी दुनिया आंगन मात्र तक बसाया था


तुझे चिकित्सक के पास ढ़ोते ढ़ोते

चप्पल घिस गए थे मेरे

एड़ीयों से रक्त का रिसाव हुआ

फिर आखिर क्या विडंबना है आई थी

कि अंतिम घड़ी में मेरी ईलाज भी तुझसे नसीब ना हो पाई थी


तब भी मैं यही मांगूंगी

मेरी उमर (उम्र ) तुझे लग जाए

तुझे कोई आंच खरोच ना आए

प्रभु रखे तुझे हर पल सलामत

तुझे दे ऐसी भली जिंदगी गनीमत


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