STORYMIRROR

JAI GARG

Abstract

2  

JAI GARG

Abstract

छिपकली लॉग -4

छिपकली लॉग -4

1 min
136

कोई इन से कहे दे सोच कर समुद्र मे क़दम रखना

भुल कर चीनी नाम तो कभी सोच कर भी न बताना

रैम्प पर जब चलो ज़िक्र वुहान कि मंडी का न करना

सुना हे दावत के शौक़ीन चाह में परोस न दे तुम को,


एक आध वाइरस तो वो झेलने मे माहिर बन गए थे;

क़िस्मत खरब थी जो करोना कोवड से पंगा ले लिया!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract