छबेली अलबेली
छबेली अलबेली
एक छबीली बड़ी अलबेली
नाम चाहे रख लो जो भी।
लेकिन महत्व हेै इस बात का
कि- चित्र क्या बना मन-मस्तिष्क में।
छबीली-अलबेली कहने पर
प्रकृति की एक नायाब रचना
आने लगती है हमारे मन में।
इस छबीली-अलबेली की
छवि मन से जब हृदय पर
धीरे-धीरे उतर आती हेै
इस उतरन की रफ्तार पर ही
वह छवि जो छबीली है
अलबेली बनने लगती है
यह छबीली-अलबेली
छबीली-अलबेली ही रह जाती है।
मन कुछ तृप्त हो भी जाए लेकिन
आँखें नहीं कभी तृप्त हो पाती हैं।।
