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Govind Pandey

Abstract

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Govind Pandey

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छबेली अलबेली

छबेली अलबेली

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एक छबीली बड़ी अलबेली

नाम चाहे रख लो जो भी।

लेकिन महत्व हेै इस बात का

कि- चित्र क्या बना मन-मस्तिष्क में।

छबीली-अलबेली कहने पर

प्रकृति की एक नायाब रचना

आने लगती है हमारे मन में।

इस छबीली-अलबेली की

छवि मन से जब हृदय पर

धीरे-धीरे उतर आती हेै

इस उतरन की रफ्तार पर ही

वह छवि जो छबीली है

अलबेली बनने लगती है

यह छबीली-अलबेली

छबीली-अलबेली ही रह जाती है।

मन कुछ तृप्त हो भी जाए लेकिन

आँखें नहीं कभी तृप्त हो पाती हैं।।


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