STORYMIRROR

Govind Pandey

Inspirational

4  

Govind Pandey

Inspirational

विचारलीन

विचारलीन

1 min
186

कभी-कभी मैं ज़ब सुनता हूँ

किसी साधु या संत की कहानी।

फ़िर सोचता हूँ खुद ही,

कैसे होते होंगे वे ऐसे उत्कृष्ठ ज्ञानी।

दिखना उनका बोलना, खाना

रहता होगा अक्सर कैसा ?


कैसा उनका ज्ञान, चलन

कैसा जो पहनावा होगा,

कैसी बातें, कैसी सोच

कैसे रहे होंगे उनके काम,

यह सब जब उथल-पुथल रहा था,


तभी अचानक दृष्टि घूमी

दीवार की तस्वीर आँखों ने चूमी

दीवार पर लगी एक तस्वीर

बड़े बाल, चेहरे पर तेज था

माथे पर बल और ठोडी पर

दो उँगलियां खुली हुई

एक संत ध्यान में था।


देखते ही तस्वीर को

संत तत्व पूर्ण हो गया

अंधकार हुआ दूर

प्रकाश ही प्रकाश फैल गया।

पूरा जीवन चक्र और

कर्मयोग का महत्व समझ कर मैं

जय कलाम-जय कलाम 

कहते-कहते विचारलीन हो गया

विचारलीन हो गया।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational