चेतक
चेतक
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राणा का भाला उठा नहीं।
तब तक चेतक सध जाता था।।
तलवार प्रहार करें ऐसा।
दुश्मन सवार चिर जाता था।।
द्रुतगामी चेतक के आगे।
हवा का रूख रूक जाता था।।
चाहे नदिया नाला आये।
चेतक न कभी घबराता था।।
राणा की वीरता का कायल।
चेतक नभ शीश उठाता था।।