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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

चेतावनी

चेतावनी

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दुर्गम रास्तों को बनाया है आसान,

चुनौतियों से जूझा सदा ही है इंसान।

असंभव को संभव करे साहसी वीर,

सागर पहाड़ चीरकर बना दी है डगर।


शस्य श्यामला आज ऊसर धरा बनाई,

मरुभूमि की बुझाने प्यास निकाल दी नहर।

खग समान अंबर में है उड़ रहा है इंसान,

 बेताब है बसाने को अंतरिक्ष में ही शहर।


दिखाने खुद को श्रेष्ठ-सभ्य मच रही है होड़,

शोषण प्रकृति का हो रहा लालच का न जोड़।

छेड़-छाड़ की सीमा तोड़ हो गया असंतुलन,

रौद्र की जो दिखी झलक-आज कर रहा नमन।


अन्न जल करो ग्रहण- तुम संतति हो प्रकृति मात की,

संरक्षित कर सुरक्षित रहो -चिन्ता न किसी बात की।

सहयोगपूर्ण सहचारयुक्त सहजीवन सुखमय सदा रहेगा,

अगर किया उत्पात अधिक तो धरा पर तेरा लहू बहेगा।


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