एक और एक ग्यारह होते हैं इस कहावत को चरितार्थ किया। एक और एक ग्यारह होते हैं इस कहावत को चरितार्थ किया।
शर्म करो इन्सान हो सब सम्मान तुम्हें अब करना होगा ! शर्म करो इन्सान हो सब सम्मान तुम्हें अब करना होगा !
दुर्गम रास्तों को बनाया है आसान, चुनौतियों से जूझा सदा ही है इंसान। दुर्गम रास्तों को बनाया है आसान, चुनौतियों से जूझा सदा ही है इंसान।
मंजिल तक पहुंचूंगा जरूर फौलादी इरादा है पहुंचना है गंतव्य पर घबराना नहीं मंजिल तक पहुंचूंगा जरूर फौलादी इरादा है पहुंचना है गंतव्य पर घबराना नही...
पाषाण तोड़ती हवायें, कुदाल नहीं चलाता, कलम का सिपाही। पाषाण तोड़ती हवायें, कुदाल नहीं चलाता, कलम का सिपाही।
जो चला गया त्याग तुझे वो भला क्या तेरा होता! जो चला गया त्याग तुझे वो भला क्या तेरा होता!