एक और एक ग्यारह होते हैं इस कहावत को चरितार्थ किया। एक और एक ग्यारह होते हैं इस कहावत को चरितार्थ किया।
मैं भी न रहूँ ! तुम भी न रहो ! ऊँची चोटी पर बैठा पहाड़ी गीत गाता है ! मैं भी न रहूँ ! तुम भी न रहो ! ऊँची चोटी पर बैठा पहाड़ी गीत गाता है !
तुम्हे पाने की चाहत में सदियों से संघर्षरत हो दुर्गम पहाड़ी इलाकों के बीच से बहे आ रही तुम्हे पाने की चाहत में सदियों से संघर्षरत हो दुर्गम पहाड़ी इलाकों के बीच से बहे...
फल पकते पेड़ों पर, तिरछी छटा छाई घोंसलों में छटपटाते, मधुर गान सुनाती चिड़िया फल पकते पेड़ों पर, तिरछी छटा छाई घोंसलों में छटपटाते, मधुर गान सुनाती चिड़िया