STORYMIRROR

Mukesh Chand

Others

4  

Mukesh Chand

Others

रिमझिम बरसात

रिमझिम बरसात

1 min
326

काली घटा छाई, रिमझिम फुहारों संग

पिया गए परदेश, अब लौट आए


चारों दिशाओं ओर, घनघोर घटा छाई

प्रिय मिलन को आतुर, रिमझिम बरखा बहार


भादों माह आया आज, खिल उठा जिया

बिजली कड़कती गनगन, गगन संग कांपा दिल


फल पकते पेड़ों पर, तिरछी छटा छाई

घोंसलों में छटपटाते, मधुर गान सुनाती चिड़िया


बिजली चमकती नभ में, दिल दहला चारों ओर

घर आंगन भीगता, झरना झूलता पहाड़ी


रिमझिम बारिश में, भागमभाग सभी

गर्मी से निजात मिले, बारिश का आसरा


पवन झोंके उलटते, बरसता सावन फुहार

कहीं आवाजाही नहीं, कहीं चट्टान गिरे


रात चैन गुमसुम, पिया दूर परदेश

नयन लगाए आंसू, मिलन कब हो


रिमझिम बरसता सावन, काली घटा छाई

सींचते खेत खलियान, लहलहाते फसल चमके।



Rate this content
Log in