लक्ष्य चुनकर देखो
लक्ष्य चुनकर देखो
गिरकर फिर संभलो, दूर तक फैले जाकर देखो
जब राह बन्द दिखे, फिर दूसरी राह चुनकर देखो।
गिरकर फिर संभलो, दूर तक फैले जाकर देखो
जब राह बन्द दिखे, फिर दूसरी राह चुनकर देखो।
जहां जो पहुंच सका, लगन की भावना रख
लक्ष्य के पीछे, अनुसरण की राह चख।
समर्पण धरा को सींचने की, मिट्टी बन कर रह गए
हैं युवा शक्ति फौलाद, धरा को हरा भरा बनाकर रह गए।
प्रत्येक जन्म दिवस पर, नई उमंगों का संचार होता
यौवन के दिन बीत चुके, अब हर पड़ाव पर जन्म दिवस गिनते
नव शक्ति का संचार भरने लगते
बीते दिनों को याद कर, कुछ नया नहीं होता।
साक्षर बनकर किताब के पन्ने खंगाले
बुराइयों का गुरेज कर, कदम कदम किनारा किया।