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Goldi Mishra

Abstract Inspirational

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Goldi Mishra

Abstract Inspirational

चांदनी

चांदनी

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खामोशी आंखों की सब कह गई,

जब भीगी ये पलकें तो सब कह गई,

ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए

वो एक सफ़र को निकली,

खाली हाथ दिल में बस उमीद लिए निकली,


छोटी उम्र सबक बड़े मिले थे,

उसकी आंखों ने भी कई सपने बुने थे,

यूं अचानक मंज़िल कहाँ मिलेगी,

पर एक ना एक दिन जरूर मिलेगी,


टूटते तारे को देख एक दुआ उसने भी मांग ली,

काली रात से मुठ्ठी भर चांदनी उसने भी मांग ली,

उसने देखा ढलता चांद भी कितना खूबूरत लगता है,

उसको तो चांद आज दुल्हन सा लगता है,


उसका सफ़र ना जाने उसको कहा ले जाए,

काश उसे सारे जवाब जल्द मिल जाए,

इस दुनिया से नाता भले ही टूटे,

पर एक सुकून से भरी दुनिया वो खुदा दे दे,


रास्ते लंबे है पर चल कर फासला कम हो ही जायेगा,

टूटा सा ये कांच एक दिन शीशा बन ही जाएगा,

खाली हाथों को कोई चुपके से भर जाएगा,

कोई चुपके से होठों को मुस्कान भी लौटा जाएगा,


चलो बाहें फैला कर इस एहसास को रूह में भर ले,

कैद से खुद को आजाद कर ले,

पैरो की बेड़ियों को मिलकर तोड़ते है,

चलो एक बार ये ज़िन्दगी जी भर कर जीते है,


खुद के बंधन तुम आज खुद खोल दो,

ठोकर से टूटे नहीं तुम ये सब से कह दो।         


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