चांदनी बनकर...
चांदनी बनकर...
शाम ढले जब
चांदनी छाती है
हौले हौले
ठीक वैसे ही
धीरे से जादू बिखेरती
आना तुम
मेरे दिल में
चांदनी की आभा की तरह
छा जाना मुझ पर
रंग देना मुझे
अपने ही रंग में
प्रत्युष वेला में
छुपने लगे जब
चांदनी
तुम चुपचाप
समा जाना मुझ में
हर रात बिखेरना
फिर वही जादू
फिर छाना
मुझ पर
चांदनी बनकर...