मेरा छल
मेरा छल
ज्ञात तो था मुझे
कि तुम
आखिर हो पुरुष ही
वासना के पंक
में रहोगे डूबे
नारी होगी
तुम्हारे लिए बिचारी ही
छल, छद्म वेष
और प्रेम का झूठा अलाप
भरा ही होगा
तुम्हारी रूह में भी
फिर भी तुम पर विश्वास रख
छला तो मैंने स्वयं को ही
ज्ञात तो था मुझे
कि तुम
आखिर हो पुरुष ही
वासना के पंक
में रहोगे डूबे
नारी होगी
तुम्हारे लिए बिचारी ही
छल, छद्म वेष
और प्रेम का झूठा अलाप
भरा ही होगा
तुम्हारी रूह में भी
फिर भी तुम पर विश्वास रख
छला तो मैंने स्वयं को ही