चाहत
चाहत
मैं तुमसे डरता नहीं
पर पीना चाहता हूं
तेरे हाथों बनी गर्म चाय
सर्द जाड़े की एक सुबह
बालकनी की आधी खिली धूप में
मैं तुमसे डरता नहीं
पर करना चाहता हूं
अपनों सी अपनेपन की बातें
थोड़ी मस्ती भरी
तुझसे तारीफें तेरी
मैं तुमसे डरता नहीं
पर देखना चाहता हूं
तुम्हें बाल संवारते
या सड़क पर निहारते
या कुछ गुनगुनाते
मैं तुमसे डरता नहीं
पर दबोच लेना चाहता हूं
तेरे हिस्से की चॉकलेट
या कुरकुरे की वह पैकेट
ललचाई हो तुम जिसपर
मैं तुमसे डरता नहीं
पर खेलना चाहता हूं
तेरे साथ बच्चों का खेल
जैसे लूडो या फिर चूड़ी
और तेरे से बेईमानी थोड़ी
मैं तुमसे डरता नहीं
पर महसूस करना चाहता हूँ
बारिश में तुम्हें अँधेरे घर में
और बिजली जो कड़की हो और
सकुचाई-सी हो तुम उस घड़ी।

