चाहत
चाहत
इस दिल में इस तरह तुझे बसाया है,
मेरी हर चाहत में तू समाया है,
ये कैसी पहचान बनाई है तूने अपनी?
देखू आईना तू ही तू नजर आया है,
मेरी बातों में है ज़िक्र तुम्हारा,
तुम्हारी खामोशी ने मेरा दिल दुखाया है,
तू हंसता है इन होंठो पर मुस्कान बनकर,
तुम्हारी नज़रअंदाजी ने इन आंखो को रुलाया है,
मेरी नींदों में है ख़्वाब तुम्हारे,
तुम्हारी हकीकत ने मुझे भरमाया है,
तू मेरा दीवाना है या नहीं ये तो नहीं पता,
मगर तुम्हारी हर अदाओं का ये दिल दीवाना है।