चाहत का सफर
चाहत का सफर
तरसती हैं आंखें और जलती है ये सांसे हर पल,
कैसा है ये चाहत का सफर जिसमें दिन रात तड़पते हैं दिल।
कभी चांदनी में कभी बारिशों में,
मचलती हे ख्वाइशें उनके मन में,
कभी सेहरा तो कभी खिलता हुआ गुलशन,
कैसा है ये चाहत का सफर जिसमें दिन रात रोते हैं दिल।
सारी रात को चांद तकता किसीकी राह,
सोचता अगर चांदनी भी होती पास,
कभी मिलन तो कभी आए लंबी जुदाई,
कैसा है ये चाहत का सफर जिसमें यूंही चलते हैं दिल।
आरजू में एक झलक सूरज की,
जगता है गुल ले के कई आस,
कभी आंसू तो कभी आए हसीं,
कैसा है ये चाहत का सफर जिसमें हर गम सेहते हैं दिल।
बस यूं ही बेवजह कोई परवाना,
जल जाता है शमां के लिए,
कभी प्यार तो कभी मिले नफरत,
कैसा है ये चाहत का सफर जिसमें बेचैन रहते है दिल।
टूटती है उम्मीद है तो कभी,
बदल जाते हैं उनके किनारे,
कभी मजेधार तो कभी साहिल,
कैसा है ये चाहत का सफर जिसमें डूबते हैं दिल।
वो तारों का टूटना और,
फिर तमन्नाओं का सिसकना,
कभी यादें तो कभी सपने,
कैसा है ये चाहत का सफर क्या है
यह चाहत का सफर जिसमें जुड़े रहे ते हैं दिल।

