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Arvind Tiwari

Abstract

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Arvind Tiwari

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बूंदें

बूंदें

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तन्हा कर देने वाली बारिश की वो रात

दिल की धड़कनें थामती करती बेंचे।


पथिक नहीं चल सकता राहों में

न कोई पीर फ़क़ीर मंद मंद हवा के

झोंके करते मझधार को तेज।

पीर फ़क़ीर सब यही कहे

बंद हो इसकी झनकार।


प्रेमी प्रेमिका के दिल की मत पूछो कोई बात

दिल उनका ऐसे धड़के जैसे कोई खनकार।

कोई करे दुआ न हो इनका निरन्तर प्रवाह

कोई देखे इन्ही बूंदों में स्वप्न मिलन आसाढ़।


ऐसा थी वो बारिश की बूंदें ऐसी थी वो रात

कवि के दिल की कोई न पूछो बस,

पढ़ लो कविता कर लो बूंदों का एहसास

बस यही है इस सूखे कवि के दिल की बरसात।


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