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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Crime Fantasy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Crime Fantasy

बुरा सपना

बुरा सपना

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किसी की बेवफाई से बुरा सपना और क्या होगा 

अर्श से फर्श पर आ जाने से बुरा और क्या होगा 


किसने कल्पना की थी कि घरों में कैद हो जाएंगे 

इस कोरोना महामारी से बुरा सपना और क्या होगा 


लाखों लोगों की लाशों पर देश आजाद हुआ 

विभाजन की त्रासदी के कारण बरबाद हुआ 


आज भी रचे जा रहे हैं षड़यंत्र गुलामी के "हरि"

जो देश का ना हुआ वो किसी और का क्या हुआ 


सपने तो सपने हैं इसमें अच्छा क्या और बुरा क्या 

जागती आंखों से जो सपने देखे उसकी बात क्या 


तकदीर के सहारे से युद्ध जीते नहीं जाते हैं "हरि" 

तदवीर से हारी बाजी जीत ले उसकी तो बात क्या। 


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