बुनकर
बुनकर
रिश्तों की किताब से, जैसे ही एक पन्ना निकला
बाकी पन्ने खुद-ब-खुद, ढीले होने लगे।
बांधी हुई डोर से छूटने लगे।
एक-एक कर बिखरने लगे।
बुनकर सभी रिश्तों को एक छत बनाई थी ।
मजबूती की मिसाल बने, ऐसी आरजू जगाई थी।
क्या पता था ,हवा का एक झोंका ,
भी सहन न कर पाएगी ।
देखते ही देखते तिनको में, बिखर जाएगी।