Dr Lalit Upadhyaya
Abstract
जवानी में थे ऐसे कड़क,
रुतबेदार थी हमारी खनक
अब बुढ़ापे में जा रही चमक,
बढ़ गई है बुढ़ापे की सनक
अब दाल रोटी अच्छी नहीं लगती
डाइबिटीज के कारण चाय फीकी ही चलती
कम रोशनी से आँखे भी कम देखती
ज्यादा चलने पर हर नस दुःखती।
कल्याणी है ना...
प्रकृति का मं...
उत्तर प्रदेश ...
वोट है जरूरी
ऊंट किस करवट ...
खेला होवे ?
चलें प्रकृति ...
माँ का आशीर्व...
घर में बीते ब...
क्या कहूँ?
समझ समझ कर अब कितना समझूं। समझदार भी समझ कर लुट गया भाई। समझ समझ कर अब कितना समझूं। समझदार भी समझ कर लुट गया भाई।
जीवन को आनंदमई बनाने का अमूर्त साधन है प्रेम फिर भी पूरी तरह से अबूझ पहेली है प् जीवन को आनंदमई बनाने का अमूर्त साधन है प्रेम फिर भी पूरी तरह से अबूझ...
पर मैंने कह दिया मैं पंछी हूँ , उड़ना चाहती हूँ मैं हि मर्यादा हूँ और मुझे लाल रंग पसंद पर मैंने कह दिया मैं पंछी हूँ , उड़ना चाहती हूँ मैं हि मर्यादा हूँ और मुझे लाल...
जो चीज बंद रहेगी जितनी उतनी धूमिल पड़ जाना है। जो चीज बंद रहेगी जितनी उतनी धूमिल पड़ जाना है।
जाता हूँ अब वर्षों में मेरे गाँव, मेरा गाँव जो इतना बदल गया।। जाता हूँ अब वर्षों में मेरे गाँव, मेरा गाँव जो इतना बदल गया।।
सबकी मंगल चाहने वाली वह महिला कथित धर्म के ठेकेदारों द्वारा स्वयं ही अमंगल कहलाती है , सबकी मंगल चाहने वाली वह महिला कथित धर्म के ठेकेदारों द्वारा स्वयं ही अमंगल कहलात...
बुद्धि, विवेक पर डालकर प्रकाश हमें पाठको के समक्ष प्रस्तुत करती है। बुद्धि, विवेक पर डालकर प्रकाश हमें पाठको के समक्ष प्रस्तुत करती है।
जिसे हल करते ही रहना पड़ता है पास फेल भी होना ही पड़ता है। जिसे हल करते ही रहना पड़ता है पास फेल भी होना ही पड़ता है।
ए चाँद तू है ही इतना हसीन कि हर कोई तेरा दीवाना हो जाता है. ए चाँद तू है ही इतना हसीन कि हर कोई तेरा दीवाना हो जाता है.
ये हम पर निर्भर है, ठहराव सिर्फ पड़ाव है मंजिल नहीं। ये हम पर निर्भर है, ठहराव सिर्फ पड़ाव है मंजिल नहीं।
फूल माला लिए सबके संग खड़े हैं। बहुत ही प्रसन्न मन हैं। फूल माला लिए सबके संग खड़े हैं। बहुत ही प्रसन्न मन हैं।
तुझ सा अपना कोई नहीं हैं, इस दुनिया-दारी में तुझ सा अपना कोई नहीं हैं, इस दुनिया-दारी में
सही मायनों में यह जाड़े के मौसम सुविधासंपन्न लोगों के लिए ही है। सही मायनों में यह जाड़े के मौसम सुविधासंपन्न लोगों के लिए ही है।
घटाएँ घिर के आयी है, व्यथाएं बनके बरसेगी उजाला खो गया है अब धरा किरणो को तरसेगी। घटाएँ घिर के आयी है, व्यथाएं बनके बरसेगी उजाला खो गया है अब धरा किरणो को तरस...
जीवन भर साथ निभाना, हार कभी मानना नहीं,अपनी तरफ से ख़ुशहाल जिंदगी में अपने, स्वप्न साकार जीवन भर साथ निभाना, हार कभी मानना नहीं,अपनी तरफ से ख़ुशहाल जिंदगी में अपने, स्वप्...
21वी सदी वर्चुअल वर्ल्ड कल्पना मात्र इतनी ।। 21वी सदी वर्चुअल वर्ल्ड कल्पना मात्र इतनी ।।
हमारा दिल हमसे हर बार यह सवाल करता है कि जो लोग बदल जाते हैं। हमारा दिल हमसे हर बार यह सवाल करता है कि जो लोग बदल जाते हैं।
शादी की सालगिरह की एक बार फिर मुबारकबाद दे गई। शादी की सालगिरह की एक बार फिर मुबारकबाद दे गई।
कृष्ण तुम पर क्या लिखूँ ! कितना लिखूँ ! रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूँ। कृष्ण तुम पर क्या लिखूँ ! कितना लिखूँ ! रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना...
पेड़ों कि शिराये है तने नदियों कि धराये है तने पेड़ पक्षियों का घर है और नदी बहता ज पेड़ों कि शिराये है तने नदियों कि धराये है तने पेड़ पक्षियों का घर है ...