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Geeta Upadhyay

Drama

3  

Geeta Upadhyay

Drama

बस का इंतजार

बस का इंतजार

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मैं कर रही थी बस का इंतजार 

तो सुनाई दी मुझे एक पुकार

मैंने देखा उस पार

दोनों हाथ फैलाए 


बगल में थैला दबाए

 फटे पुराने वस्त्र 

लटकाए 

शर्म से मुंह छुपाए 

घबराई सी मेरे पास

आई 


दास्तां उसने अपनी सुनाई 

मुझे बड़ी दया आई 

उसने देखा ऐसे

 जैसे मांग रही हो 


पैसे मैंने जेब में देखा टिकट के अलावा 

नहीं था उसमें एक

पैसा मरती क्या ना करती वही दे डाले 

पाकर पैसे वह खाने लगी आम रस वाले

 स्टैंड पर बैठी अब मैं कर रही थी


ऐसे शख्स का इंतजार

जो सुनता मेरी पुकार मदद करके फंस

गई बेकार

"आ बैल मुझे मार" 

यह पंक्ति मुझ पर 

हो गई साकार।


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