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Dr Narendra Kumar Patel

Abstract

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Dr Narendra Kumar Patel

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बस इतनी सी अरदास मेरी

बस इतनी सी अरदास मेरी

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इतनी सी अरदास मेरी,

ऐसी ही मोहब्बत बनी रहे.

आये भी मुश्किल पास कभी

पलभर ही उसका साथ रहे.

कुदरत का करिश्मा क्या जाने,

वो हमसे क्या लिखवाती है.

लफ़्ज़ों का अमृतपान करें,

दुनिया में मोहब्बत बनी रहे.

आशा विद्या स्नेहा भावना

प्रेमा प्रतिभा महबूब मेरी.

रब से बस है यही दुआ,

जीवनभर प्रीति बनी रहे.

दुनिया में आना जाना तो,

तकदीर का खेल निराला है.

कल दुनिया में रहें न रहें,

पर कलम कीर्ति बनी रहे!

       



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