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Chetan Gondaliya

Abstract

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Chetan Gondaliya

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बरखा

बरखा

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बरसा बादल बरसा

हुई ठंडक भू-तल में सहसा

भूमि पे नाचती बूंदें झरमर- झरमर

संग नाचे पंछी और तरुवर



इंद्रधनुष के रंग दमकते

बागमें, पपीहा-मोर चहकते

दामिनी नाचे, छमछम से

चमकचम कर चमकारें

 

संग ताल से ताल मिलाए

घन घन बादल सारे ..

भीनी गंध, पुलकित हुई नासिका

हुई प्राणवान सारी तन-कोशिका


बजे मेघ गर्जन धना-धन

नाचे नर्तक बना मेरा मन

रातों में अलौकिक बूँद संगीत

साथमें टर्राएं मेंढक-गीत


दिन में सूरज , रात में तारे

चले छुट्टी पे सारे के सारे

बुझी प्यास , तृप्त हुए चातक

बरखा सुखकारी, बनती कभी घातक


बरसा बादल बरसा

हुई ठंडक भू-तल में सहसा


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