बरखा
बरखा
बरसा बादल बरसा
हुई ठंडक भू-तल में सहसा
भूमि पे नाचती बूंदें झरमर- झरमर
संग नाचे पंछी और तरुवर
इंद्रधनुष के रंग दमकते
बागमें, पपीहा-मोर चहकते
दामिनी नाचे, छमछम से
चमकचम कर चमकारें
संग ताल से ताल मिलाए
घन घन बादल सारे ..
भीनी गंध, पुलकित हुई नासिका
हुई प्राणवान सारी तन-कोशिका
बजे मेघ गर्जन धना-धन
नाचे नर्तक बना मेरा मन
रातों में अलौकिक बूँद संगीत
साथमें टर्राएं मेंढक-गीत
दिन में सूरज , रात में तारे
चले छुट्टी पे सारे के सारे
बुझी प्यास , तृप्त हुए चातक
बरखा सुखकारी, बनती कभी घातक
बरसा बादल बरसा
हुई ठंडक भू-तल में सहसा
