बरखा
बरखा
बैरी बरखा बरसे
जिया तरसे
पिया घर नहीं आये
जिया तरसे.....
बैरी बरखा बरसे.....
बूंद बूंद ये बन गयी बैरन
बिजुरी भी दमके
बैरी बरखा बरसे.....
पल पल मैं ये द्वार निहारूँ
पागल मन को कैसे संवारूँ ?
ध प म रे प, म प ध नि ध,
प ध प प सा ध,
रे सा ध, प रे, आऽऽ,
पल पल मैं ये द्वार निहारूँ
पागल मन को कैसे संवारूँ ?
बैरी मन नहीं माने
अनसन ताने बुने
डर से जिया तरसे
बैरी बरखा बरसे