ब्रज की होरी
ब्रज की होरी
हुरियारे होरी गाओ....#,
कोई रंगिया राग सुनाओ।
सारे मतभेद भुलाओ,
अरे हां रे होरी गाओ।।[2]
आओ सब रंग लगाओ,
घर चौपाल सजाओ।
खुशियों के रंग उढ़ाओ,
अरे हां रे होरी गाओ।।[2]
अब सारे बैर मिटाओ,
सबको गले लगाओ।
अंबर में गुलाल उड़ाओ,
अरे हां रे होरी गाओ।।[2]
ब्रज वृंदावन बन जाओ,
वरसाना रंग बरसाओ ।
कुंठा का जहर मिटाओ,
अरे हां रे होरी गाओ।।