बंद लिफाफे
बंद लिफाफे
बंद लिफाफे से हुए रिश्ते दिल को परेशान करते हैं,
कुछ अपने ही रिश्ते हमें हर लम्हा हैरान करते हैं।
एक ही माला के मोतियों से ये हसीन रिश्ते...........,
संवेदना हीन हो न जाने कैसे छन छन हो बिखरते हैं।
न कोई मापदंड है न कोई मानक निर्धारित है इनमें,
रंग बिरंगी जिंदगी को बैरंग कर मन ही मन सिसकते है।
जिंदगी में नव प्राण भरने वाले ये रिश्ते बेनाम हो,
खुशियां जीवन की कर बर्बाद पल पल बिलखते है।
जिनसे मिलती थी जीवन की तमाम खुशियां,
वो ही रिश्तों की बगिया को प्यार से कब सिंचते है।
अपने पन का मुखौटा लिए ये दर्द देने वाले चेहरे,
चंद कागज़ के टुकड़ों में रिश्तों को क्यूं समेटते है।
टूट जाती है जब रिश्तों की कच्ची ये डोरियां,
मन उद्वेलित होता, "राज' को सारे रिश्ते बेगाने लगते हैं।