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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

बंद दरवाजे

बंद दरवाजे

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महल के बंद दरवाजों के पीछे 

बंद पड़ी हैं, अनगिनत कहानियां 

जिनमें से कुछ चर्चाओं में आ गई

तो कुछ सुनी जाती हैं लोगों की जुबानियां 

कुछ प्रेम भरी, कुछ दर्द देने वाली 

कुछ विरह की तो कुछ गुदगुदाने वाली 

कुछ बेशर्मी की , कुछ बेहयाई की 

कुछ वफाओं की, कुछ बेवफाई की 

कुछ षडयंत्रों की , कुछ विश्वासघात की 

कुछ पारिवारिक संबंधों पर कुठाराघात की 

नारियों पर जुल्म के असीम प्रहार की 

निर्दोष, मासूमों के निर्मम संहार की 

केसरिया बानों की वीरता की उनके बलिदान की 

वीर क्षत्राणियों के अद्भुत जौहर महान की 

मीराबाई की भक्ति, प्यार की शक्ति की 

पन्ना धाय की अप्रतिम स्वामीभक्ति की 

दासियों को रखैलों की तरह इस्तेमाल की 

तलवार की नोक पर होने वाले बवाल की 

सौतेली माता के द्वारा अबोधों पर अत्याचार की 

सिसकने को मजबूर होते देह व्यापार की 

धर्म के नाम पर कटते हुए नरमुंडों की 

ताकत के बल पर मनमानी करते मुस्टंडों की 

अपने बेटे की खातिर किसी को वन भेजने की 

अपनी ही कुलवधू को सभा में निर्वस्त्र करने की 

न जाने कितनी कहानियां दफन हैं 

इन बंद दरवाजों के पीछे 

जब कभी मैं सोचता हूं, आंखें मीचे 

मन विह्वल हो जाता है, और आंखें नम 

बंद दरवाजों ने देखे हैं वो दृश्य निर्मम 

इन कहानियों के गम में गमगीन हो गए

ये बंद दरवाजे आज कैसे यतीम हो गए

गमों के बोझ से वृद्ध और जर्जर हो गए 

कभी शान थे जो दरवाजे, आज रुग्ण , कर्कश हो गए।

 



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