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Neelam Sharma

Drama

3  

Neelam Sharma

Drama

बिसात-ए-शतरंज

बिसात-ए-शतरंज

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ए जिंदगी क्या कहूँ तुझे,

महज़ बिसात-ए-शतरंज है तू।

बिछा देता बिसात पर ख़ुदा,

बनाकर शतरंज का हमें मोहरा।


कोई हाथी -घोड़ा,

कोई चला बन ऊँट टेढ़ा।

निज की लगा रहे हैं हम बाज़ी

चले जा रहे हैं नित नयी चालें,


ताकि अपने अहम रूपी बादशाह को बचालें।

मोहरे अक्सर चलते हैं कूटनीति की चाल,

आवश्यकता अनुसार चाल बदलते,

परिस्थिति अनुसार कभी हैं ढलते।


पर लौट नही सकते हम प्यादे,

मरते हैं या फिर देते मार।

यही तो जिंदगी नियम है तेरा,

आज नगद और कल उधार।


रहता अहम घोड़े पर सवार,

कभी सिपाही,कभी वज़ीर से

खड़ी करे राजा सरकार।


जीवन शतरंज पर, कुर्बानी को नीलम

हो जाते हैं हम प्यादे निसार।


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