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Reetesh Sharma

Romance

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Reetesh Sharma

Romance

बिन तेरे

बिन तेरे

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कि मंज़िल कौन पाना चाहता है अब,बिन तेरे

कि ख्वाबों को सजाना कौन चाहता है अब, बिन तेरे


मुस्कुराना जो मेरी आदत में था शुमार हर पल

लबों पर कौन मुस्कुराहट सजाना चाहता है अब,बिन तेरे


सुबह कोई भी जो गुजरी नहीं थीं मेरी,तुझे देखे बिना 

कि अब शाम तक पलकें बिछाना कौन चाहता है,बिन तेरे


तेरी यादें ,जो मुझसे अब भी करती है अठखेलियां

कि कैसे कोई इस मन को कोई समझाए अब, बिन तेरे


हां,मगर में मुस्कुराता अब भी हूं ,तेरे एहसास में जीकर

कि अब भी हंसाना है मुझे कई अपनों के चेहरों को,

बिन तेरे।


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